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Sunday 15 May 2016

एक ख्वाब...

हमारी कोचिंग से ही निकले हैं आज के हमारे खास मेहमान रविन्द्र जी अभी थानेदार की पोस्ट पर हैं जोधपुर पुलिस थाने में ही, काफी अच्छा काम कर रहें हैं इनकी ईमानदारी के चर्चें आज पुरे शहर में हैं, हमने भी इन्हीं के उपलक्ष में आज हमारी कोचिंग में भी एक छोटा सा सम्मान समारोह का कार्यक्रम रखा हैं, वो स्टेज पर खड़े होकर अपने यहाँ बिताये पलों की यादें ताजा कर रहें हैं कि मुझे भी बिता वक़्त कुछ यूँ याद आ रहा हैं कि आज पांच जनवरी हैं मतलब ठीक पांच साल पहले आज ही के दिन हमारे कोचिंग की शुरुआत हुई थी, मुझे याद हैं रविन्द्र जी हमारी कोचिंग आये थे तब कहा था मेहनती बहुत हूँ, सरकार विज्ञप्ति जारी करें तभी समझ लेना मेरा सिलेक्शन पक्का हैं पर मैं अभी आपको बस अपनी फीस नहीं दें पाऊगा, मैंने एक पल को सत्यम को निहारा मुझे लगा वो उसे मना कर देंगें, एडमिशन नहीं देंगें पर अगले ही पल मेरी ख़ुशी की सीमा नहीं रही जब उन्होंने उठकर रविन्द्र जी को गले लगाते हुए कहा, मेहनत करते रहना किसी भी चीज़ की कमी हो तो बेझिझक बड़ा भाई समझकर मुझसे मांग लेना, इनके जैसे ही और भी खूब सारे लोग आए और हमें बेशुमार यादें व प्यार देकर गए हैं आज वो अपनी-अपनी पोस्ट पर अच्छा काम कर रहे हैं यह सब देखकर हमें भी सुकून मिलता हैं, हमने केवल एक रविन्द्र की ही सहायता नहीं की हैं ऐसे रविन्द्र ना जाने और भी कितने आए हैं हम लोगों की ज़िन्दगी में, जैसे-जैसे फ्री वाले बढ़ते जाते सत्यम थोड़े परेशान होते कभी किसी को मेरे सामने मना कर देते तो मैं इन्हें प्यार से अपने पास बुलाती व प्यार से गाल पर चिकोटी काटते हुए कहती चलो इस बन्दे की फीस मेरी सैलरी में से काट लेना, ऐसे करते करते स्टूडेंट्स बढ़ते जाते और मेरी सैलरी के सारे पैसे आने वाले गरीब बच्चों की फीस में चलें जाते, कभी कभी खुद के खर्च के लिए इनसे मांगने की नौबत आ जाती पर यह प्यार से छड़ते हुए कहते और बनो मदर टेरेसा आ गई ना खुद के खर्च को निकाल पाने की नौबत, मैं भी बस इनके ताने का जवाब मुस्कुरा कर दे देती बिना कुछ बोलें ही कभी कभी कह भी देती मर्द हो, आप ही की जिम्मेदारी हैं मुझे खिलाने-पिलाने की तो, ऐसे अनगिनत पल हमने मिलकर जियें हैं कम पैसों के पर पुरे प्यार से, होस्टल व कोचिंग ही हमेशा हमारा घर व परिवार रहा और इसमें आने वाला हर स्टूडेंट हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा, बहुत जल्द तरक्की भी की हैं हमारे कोचिंग ने और सच कहूँ तो हम सबने मिलकर मेहनत भी बहुत की हैं, उसी का फल हैं कि आज हमारा कोचिंग सेंटर इस शहर का टॉप हैं, वैसे यह सब इतना आसान नहीं था, हमने वो वक़्त भी देखा था जब मेरे पति रातभर टेंशन में बिता देते थे बिना कुछ खाएं-पियें ही, मैंने तब भी देखा था मेरे पति को जब वो तपती धुप में पसीने में भीगे हुए भी घंटों पढ़ाया करते थे, मैंने तब भी झेला हैं इन्हें जब यह छोटी सी बात पर झुनझुना जाते थे, घर की सारी जिम्मेदारियां भी जब मुझ पर ही थी, सब बहुत मुश्किल था, मेरी जॉब, कोचिंग व हॉस्टल, पर आज सुकून हैं कि कुछ स्ट्रगल किया पर आज सब सेट हो गया हैं, अब सुकून से रहते हैं मेरे पति, मैं वक़्त निकाल कर अब थोड़ा सुस्ता भी लेती हूँ, मन करें तब अब साथ में टेल भी आते हैं, अब बिना किसी फ़िक्र के कुछ फुर्सत के पल हम साथ में प्यार से भी बिता लेते हैं, मन करें इनसे कभी कभार बेवजह झगड़ भी लेती हूँ, कभी कभी बैठकर सोचती हूँ ज़िन्दगी भला कहाँ से कहाँ ले आई हैं, इतनी सी उम्र में इतना सफ़र तय कर लिया हो यकीन ही नहीं होता हैं, इतना आसान कहाँ था हम लोगों का शादी कर लेना भी, कितनी मुसीबतें थी कितना कुछ सिखा दिया हैं इस इतनी सी ज़िन्दगी ने मुझ सी नन्हीं सी जान को, पहली दफ़ा मैंने अपने पति का पम्पलेट(पोस्टर) देखा था मेरे ही घर की दिवार के किसी एक कोने पर लगा हुआ, बहुत सारे लोग स्कूल व कोचिंग चलाते हैं, खूब सारे पोस्टर्स भी देखती थी मैं पर पहली दफ़ा इनकी कोचिंग का पोस्टर देखकर ना जाने क्या महसूस हुआ कि मैंने पीछे मुड़कर देखा, फिर गौर से पढ़ा "सत्यम क्लासेज" उस सारे पेपर में वो लाइन भी दिल को छु गई थी कि आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को विशेष छूट, फिर नीचे लिखा डायरेक्टर- प्रोफेसर सत्यम चौधरी!!
बस वो एक पल, ना जाने क्या था, मैंने एक पल में ही अपने पेरेंट्स से कहा मुझे बस वो ही इन्सान चाहिए, पहली बार बस मैंने एक पल में ही निर्णय कर लिया था कि सत्यम ही वो इन्सान हैं जिसके साथ मुझे जिन्दगी बितानी हैं, मैंने फिर अपने पेरेंट्स की हां का इंतजार किया उन्होंने भी करीब एक साल बाद हमारी शादी के लिए हां कह ही दी थी, मैंने अपनी ज़िन्दगी में इस इन्सान को सबसे ज्यादा बदलते हुए व सम्भलते देखा हैं!!
और अब आखिर में हमारे कोचिंग की मैनेजिंग डायरेक्टर प्रिया जी आये हुए मेहमानों का शुक्रिया अदा करके समापन स्पीच देगी, कि तालियों की गड़गड़ाहट के बिच सत्यम मुझे झकझोरते हुए कहते हैं प्रिया जाओ स्टेज पर कहाँ खो गई हो, अब मैं अपना स्पीच खत्म करती हूँ तब तक आप मेरी अगली कहानी का इंतजार कीजिए!!

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