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Sunday 13 March 2016

मशाला कहानी की तलाश में..!!

मैं बरसों बाद मिल रही थी उससे भाई था वो मेरा, कहने को हमारा खून का रिश्ता था पर वक़्त के हाथों हम दोनों मारे गए थे
वजह थी भाई का किसी दूसरी जाती की छोरी से प्यार कर लेना मेरी उम्र तब भाई के जितनी ही थी पर समझ भाई से कहीं ज्यादा इसलिए मुझे उनका भाग जाने वाला निर्णय बहुत ओच्चा ही नजर आया....मैं अभी बैठी ही थी कि उन्होंने कहा पढ़-लिखकर इन्सान बन गई हो अब तो खूब लिखने व छपने भी लगी हो....मैंने सर हिला दिया ख़ुशी से वो फिर बोले तो तुम्हारी पहली किताब मेरी ही कहानी कह दें सोचूं तो कोई बुराई हैं क्या....??
मैं एक पल को हैरान फिर बोली नहीं भाई साहब आपकी कहानी मैं नहीं लिखूंगी क्यूंकि आपका प्यार सच्चा वाला हैं और मैं झूठी कहानी की तलाश में हूँ
वो थोड़े हैरान होकर बोलें यह क्या बात हुई प्यार किया हमने, रातों तक सो नहीं पाए हम, जीना तक भूल गए हम, अपने परिवार से बिसरा दिए गए हम, अपने घर व गांव को एक पल में भुला दिया हमने, लोगों की मार सही हमने, पल पल छुपते भागते रहें हम, दुनिया की सारी जहमतों को झेला हमने पर फिर भी किया प्यार.....फिर की एक-दुसरे से शादी....आज भी निभा रहें हैं कोई बंधन नहीं हैं दोनों एक-दुसरे के साथ खुश हैं अपने लिए गए निर्णय का भी कोई अफ़सोस नहीं हैं, सबसे दूर रहना पड़ता हैं पर एक-दुसरे का साथ तो हैं यहीं सोचकर खुश हैं और तुम कहती हो नहीं लिखूंगी तुम्हारी सच्ची वाली कहानी तो....धत :(
मैंने उन्हें आश्वासन देते हुए बिठाकर कहा भाई बात यह हैं आपकी कहानी में मशाला नहीं हैं और किताब पॉपुलर हो उसके लिए मशाला चाहिए होता हैं कहाँ आपकी कहानी जो गांव में आँख मिछोली से शुरू हुई और बगावत करके आपके भाग जाने पर खत्म हो गई जबकि किताब लिखने के लिए जरुरी हैं लड़का और लड़की किसी मॉल में मिले, टकराये फिर दोनों एक दुसरे के साथ फिल्म देखने जाये, फिर एक दुसरे को किस-विस भी करे(सुना हैं ऐसा करने से सारी थकान दूर हो जाती हैं😝), दोनों एक-दुसरे के हाथों में हाथ डालकर अजीबो-गरीब तरीके से आई लव यू व आई लव यू टू कहें, दोनों घंटों बातें करें, दोनों बार-बार दिखायें कि हम प्यार करते हैं और आखिर में जाकर दोनों एक-दुसरे से अलग हो जाएँ जो आपने कभी सोचा भी ना हो वो सब उस किताब में हो, फिर आखिर में लिखा जाएँ यह सब काल्पनिक हैं इसका किसी भी व्यक्ति-विशेष से कोई सम्बन्ध नहीं हैं,  फिर लेखक/लेखिका उसका ना-ना प्रकार से प्रचार प्रसार करें और किताब को बेचा जाएँ इसे कहते हैं प्यार और आप कहते हो मैं आपकी सच्ची वाली कहानी छाप दूँ, पिटवाओगे क्या भाई फिर घर वाले मुझे भी बाहर कर देंगें कहेंगें आई बड़ी लेखिका बनने....!!!!
सच जो प्यार होता हैं वो कहीं खो जाता हैं बस मुझे तो किताबों का प्यार ही नजर आता हैं.....और वैसा ही कुछ लिखूंगी मैं भी बार-बार कहूँगी सब बेवजह सा ही..!!
वो एक टक बस देखतें रहें आज फिर उनका प्यार ना बिककर पवित्र रह गया था देखा था मैनें उनके चेहरे पर सुकून..!😊

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