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Tuesday 15 March 2016

"एक लड़की की डायरी- 3"....

लड़की को औरत बनना उसकी माँ ही सिखाती हैं कोई और नहीं, उलझा दिया जाता हैं गहनों में, कपड़ों में व दुनियादारी में एक लड़की को, सिवा इसके कुछ होता ही नहीं हैं हमारे पास करने को, बस कहानी केवल उसी एक दायरे में घुमती रहती हैं, जन्म फिर बड़ी होती लड़की, अपने आपको अच्छा साबित करने के लिए भला-बुरा हर कहा मानती लड़की, दूसरों का ख्याल रखने में अपनी ज़िन्दगी को खोती लड़की, सबकी परवाह करके अपने प्रति बेपरवाही बरतती लड़की, और एक दिन सबका ख्याल रखते रखते अच्छी बनकर चैन की नींद सो जाती लड़की....!!!
कुछ भी तो नहीं करती हैं लड़कियां अपने लिए यहाँ तक कि उसका सजना-संवरना भी लड़के से ही तो जुड़ा होता हैं...!!!
एक बात बताऊ बेपरवाह हो जाने में भी मजा हैं अपने शौक के लिए, मन करें वो कीजिए, कुछ केवल इसलिए मत कीजिए कि वो दुसरे लोग हमसे उम्मीद रखते हैं!!!
क्रमश:.....-)

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