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Saturday 29 March 2014

मेरी साँसें ,उसकी जिंदगी :-)

आज अक्षिता ,राज के साथ कुछ सालों पहले के फोटोज को देख रही थी 
कि उन्हें देखते हुए उसकी आँखें नम हो गयी थी ,
जो उसने एक दिन उसी नदी के सहारे राज के साथ क्लिक किये थे 
जहाँ एक दिन राज ने अपनी जिंदगी के सबसे अहम् पलों को अक्षिता से शेयर किया था 
जहाँ उसने अक्षिता को अपना जीवनसंगिनी बनाने का सपना देखा था 
कुछ यादों को समेटा था मन में ,उसने राज को फिर से एक नयी जिंदगी दी 
कुछ पुरानी यादें उसके जेहन में उभर आयी थी 
उसे याद हैं कैसे राज ने आज से चार साल पहले शाम के वक़्त कॉल करके 
उसने हल्के मन से कहा सुनो कल घूमने चले क्या ???
शायद यही सोचा होगा कि मैं मना कर दूंगी :-)
पर मेरे पास कोई वजह ही नहीं थी उसे मना करने की 
चिलमिलाती सी तपती धुप में भी निकल गयी थी मैं उसका साथ पाने के लिए :-)
कुछ दोस्त मिल बैठते हैं तब जिंदगी खुद-बेखुद अपनी कीमत बहुत बढ़ा लेती हैं 
इस बात का पता भी मुझे उसी वक़्त चला जब हम सब ख़ुशी से झूम उठे थे !!
अक्सर परिंदो सी उड़ती चली जाती मैं बिना यह सोचे कि अगर वो मुझसे पीछे रह जायेगा तो उसे कितनी तकलीफ होगी ??
और वो भी पागल कभी बयां ही नहीं करता कि मैं उसके लिए कितनी जरुरी हु :-)
मैं उससे आगे बढ़ ही रही थी कि उसने अपना अधिकार भाव जताते हुए 
उस दिन पहली बार मेरा हाथ अपने हाथों में थामते हुए बोला रुको ना 
हमेशा मुझसे आगे रहने की ज़िद्द हैं क्या ???
कभी थोड़ा मेरे साथ भी सुस्ता लो भई क्या पता कल को हमारा साथ भी नसीब ना हो :(
यह कहते हुए हम दोनों उसी नदी के किनारे बैठ गए थे 
कुछ देर दोनों की खामोश निगाहें ही काफी थी हालातों को बयां करने के लिए :-)
वो नदी ,उसका साथ और मेरा खाली मन………उफ्फ..........
कुछ देर हम दोनों खामोश रहे फिर उसने चुप्पी को तोड़ते हुए कहा -
मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हू :-)
उफ्फ मेरी तो साँसें ही थम गयी थी ,कितना डरती थी मैं इस पल से पर आखिर अब मुझे उन पलों का सामना करना ही था ,मन में विचारों की बहुत उथल-पूथल मची हुई थी 
क्या मेरे प्यार को इतना सस्ता समझ लिया हैं ना फूलों का गुलदस्ता लाया हैं और ना ही कुछ और ???
कि उसकी बातों को सुनने के लिए अपने विचारों को थोड़ा आराम दिया :(
तुम सोचती होगी कि मैं ऐसा क्यों हू ???अक्सर मैं क्यों अपने आपसे ही उलझ जाता हू ??
आखिर तुम मेरे बारे में जानती ही क्या हो ????
तुमने तो मुझे राज नाम यू ही दिया होगा पर सच में मेरी इस जिंदगी में बहुत गहरे राज भी हैं जो तुम बिल्कुल भी नहीं जानती.......तुमने महज एक हँसते हुए चेहरे को देखा हैं तुम्हें अंदाजा तक नहीं हैं कि इसके पीछे कितने गम ……तुम सोच भी नहीं सकती कि मेरी इन ऊंचाइयों के पीछे कितनी ठोकरें हैं जिन्होंने कभी मुझे गिराया ,कभी बहकाया ,कभी लड़खड़ाया तो कभी बेहद रुलाया हैं :(
मैंने कभी अपना बचपन नहीं जिया हैं ,तुम सब लोगों के पास अपना बचपना सहेजकर रखा हुआ हैं 
कैद करके रखा हैं उसे तस्वीरों में पर मेरे पास सिवाए कुछ धुंधली सी यादों के कुछ भी तो नहीं हैं :(
उम्र के सबसे मुश्किल पड़ाव पर जब सब लोग अपनी समस्याओं को अपने पापा के 
साथ बैठकर सुलझा लेते हैं मेरी जिंदगी का वो पड़ाव भी मैंने अकेले ही पार किया हैं 
नहीं थे इस दुनिया में मेरे पापा मेरा हाथ थामने के लिए ,मेरे लड़खड़ाते कदमों को सहारा देने के लिए ;(
मेरी जिंदगी इतनी बेरंग सी हैं उसमें तुम्हें ब्लैक एंड वाइट कलर भी कहीं नजर नहीं आएगा ;(
वो खुदा शायद जिसने मेरी खुशियाँ ही किसी और की झोली में डाल दी हैं 
वो मेरी परीक्षा लेने से कभी बाज ही नहीं आता हैं देखो ना तुम मिल गयी तुमसे प्यार हो गया 
सब-कुछ भुला दिया उसकी हर खता को माफ कर दिया क्यूंकि उसने तुम्हें मुझे दे दिया 
कोई गिला-शिकवा नहीं रहा तुम्हारे साथ ख़ुशी-२ पूरी उम्र काट देना चाहता था 
पर अब वादा करो कि तुम मेरे बिना भी उसी जिंदादिली से जिओगी जैसे कि तुम जीना चाहती हो ??
मेरे ना होने से भी तुम्हारी जिंदगी व इन खुशियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा :(
कसम हैं तुम्हें मेरी कि तुम हर पल मुस्कुराओगी 
गमों के सायों को कभी भी अपना दरवाजा तक नहीं खटखटाने दोगी ???
बहुत कोशिश कि ,तुम्हें बहुत हर्ट भी किया ताकि तुम मुझसे नफरत करना सिख जाओ 
मैं बुदबुदाई पर तुम यह सब क्यों कह रहे हो ??बहुत सारी आंशकाएं मन में घर करने लगी थी :(
उसका दर्द उसके आंसुओं में बह गया व उसके शब्द बिखर गए थे मुझे…… कैंसर  … हैं....... 
भरी आँखों व दबे पावों से चल पड़ी थी बिना कुछ सोचे व समझे 
कि तभी राज ने फिर से हाथ थाम लिया था मत जाओ ना :-)
मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहा नदी के किनारे बैठने से समस्या हल नहीं हो जायेगी 
तुमने सोच भी कैसे लिया कि मैं तुम्हें छोड़कर जा सकती हू या तुम्हारे बिना जी सकती हू ??
मैंने राज के लड़खड़ाते कदमों को थामा और यह जताया कि अब तुम्हें सम्भालने के लिए मैं हू ;-)
कुछ दुआओं का असर व कुछ दवाओं और शायद कुछ प्यार का भी कि राज कुछ वक़्त बाद बिल्कुल ठीक हो गया सांसें व उम्र को एक-दूसरे के लिए बाँट लिया हम दोनों ने :-)

2 comments:

Kailash Sharma said...

दुखों में हाथ थाम ले वह ही साथी है जीवन भर का...बहुत सुन्दर कहानी...

Preeti 'Agyaat' said...

यादें बीते पलों की, यादें अपने साथी की..सुंदर शब्द-संयोजन !